Monday, October 27, 2008
आर्थिक मंदी
अमेरिका के वॉल स्ट्रीट से आर्थिक संकट का जो सुनामी निकला वो यूरोप के रास्ते भारत में भी पहुंच गया है। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि विश्व आर्थिक मंदी का असर भारत पर नहीं हो रहा है। कुछ लोग इस मंदी को अस्थायी मानते हैं।लेकिन बर्ष १९२९ में अमेरिका में आयी आर्थिक मंदी ४० के दशक तक चला था। भारतीय अर्थव्यवस्था के कुछ पहुल के बारे में जानते हैं- १- रिजर्व बैंक देश की बैंकिंग व्यवस्था और मौद्रिक नीति पर कठोर नियंत्रण और बारीकी से निरीक्षण काम संपन्न करता है।नतीजन,बैंकों को मनमाने और जबाबदेह ढ़ग से काम करने का अवसर मिलता है।हाल में ही जब देश में मुद्रास्फीति की चपेट में था ,आरबीआई ने बैंक रेट औऱ सीआरआर में तब्दीली लाने का आदेश दिया था। सभी बैंकों ने इस निदेश का पालन भी किया था। आगे भी आरबीआई का नियंत्रण प्रभावशाली होगा। अमेरिका में फेडरल बैंक के नियंत्रण और निरीक्षण की कमी के कारण उस देश में वित्तीय संकट आया। २- भारत के बैकिंग व्यवस्था में सरकारी बैंको का स्वामित्व काफी है। सरकार बहुत से बैकों की मालिक है। आम लोगों का विश्वास सरकारी बैंकों पर काफी है।३- भारत पूंजी की कनवर्टिलिटी को पूरा लागु करने के लालच से अभी तक बचा है। यदि भारत ऐसा करता तो अभी तक वर्तमान विश्व वित्तीय संकट में बुरी तरह से फंसा हुआ होता। हांलाकि दूसरी ओर कई ऐसे तथ्य हैं जो भारत में वित्तीय संकट को सूचित करता है- १- भारत से विदेशी संस्थागत निवेशक का भारी मात्रा में अपनी सम्पति को बाहर ले जाना इसी बात का प्रतीक है कि भारत पर मंदी का असर जोड़ो से पड़ रहा है। इसी का नतीजा है कि भारत का शेयर बाजार का सूचकांक २२००० से गिरकर ८,००० के पास पहुंच गया है। साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपया का अवमुल्यन भी जारी है। डॉलर पचास रूपया के बराबर पहुंच गया, इस अवमुल्यन से देश का निर्यात बढ़ना चाहिए था लेकिन इसके उलट निर्यात घट रहा है। २- विदेशी मुद्रा भंडार भी कम हो रहा है। तीसरा- भारत के बैंक व्यावसायियो की ओर दुसरे खरीदार को क्रेडिट नहीं दे रहा है।
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4 comments:
स्वागत है। लिखना जीने के लिये ज़रूरी है। आपका स्वागत है।
ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
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आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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अमित के. सागर
(उल्टा तीर)
welcome with best wishes...samay mile to mere blogpebhee padharen...khushee hogee !
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