Wednesday, October 22, 2008

राज का ईलाज

राज ठाकरे... आधुनिक भारत का नया चेहरा...क्षेत्रीयता का नया अग्रदूत...राज ठाकरे, बाला साहेब ठाकरे के भतीजा हैं...कभी बाला साहेब के उत्तराधिकारी के रूप में भी माने जा रहे थे। लेकिन बाला साहेब को भी भतीजावाद के जगह वंशवाद ज्यादा अच्छा लगा। और राज के जगह उद्धव ठाकरे यानि आपन सपुत्र को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया ।बस किया था, सत्ता के पुजारी राज को, जो कभी बाला साहेब को अपना भगवान मानता अलविदा कह दिया। इतना ही नहीं बाला साहब को बुढ़ा शेर के उपमा देकर नया पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण पार्टी की स्थापना कर डाला। अब पार्टी खोला तब मुद्दा भी चाहिए। जनभावना उकसाने से अच्छा कोई और बात किसी भी पार्टी के लिए नहीं होती है। बस, राज ठाकरे ने भी वही किया जो बाला साहेब के स्कूल में सीखा था । जनभावना के नाम पर गुंडो को इक्ट्ठा करना शुरु किया। वे गुंडे जो कभी अंडरवल्ड के गुडे होते थे। अब बेरोजगार थे ।दाउद और छोटा राजन के जगह नया हीरो मिला... बस तीर से दो निशाना साधने का प्रयास करने लगा... राज जो बाला साहेब के स्कूल के सबसे तेज छात्रों में से एक था । बाला साहेब के हर चाल से परिचित है। बाला साहेब ने दक्षिण भारतियों के खिलाफ अपना निशाना साधकर सत्ता के गलियारे तक पहुंच थे। राज ने उत्तर भारतीयों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया॥इस उम्मीद में कि हम भी सत्ता के गलियारे में पहुंचेंगें...लेकिन य़े बात तो काल के गर्व में है कि कौन सत्ता के गलियारे में पहुंचेगा ? ये तो बात हुई राज के महत्वाकांक्षा और इतिहास की..... अब बड़ा सवाल यह है कि देश कैसे निपटेगा ऐसे लोगों से... क्या ऐसे लोगों को सूली पर चढ़ा दिया जाए... या सत्ता के शीर्ष पर बैठा दिया जाय... इस समस्या का समाधान न तो शूली चढ़ाने से निकलेगा न सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने से... इसका हल भारतीय संविधान के अनुसार ही निकल सकता है। चुनाव आयोग को सशस्कत बनाकर... ऐसे लोगों से संबंद्ध किसी भी दल को मान्यता नहीं देना चाहिए...साथ ही साथ जिस राज्य कि जनता को यह लगता है कि ए मेरा घर है... उसे यह समझाने का प्रयास करना चाहिए कि

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